सफ़ेद से ख्याबो को रचती रही...
काले की तौहीन करती रही...
एक दिन, सफ़ेद दिन की रौशनी मे कहीं खो गया...
अँधेरी रातों मे काला अपनी चादर ओढाकर मुझे सो गया...
फ़िर भी मन मे सफ़ेद के लिए प्यार कम न हुआ...
काला जानता था, पर इस बात का कभी उसे गम न हुआ...
सफ़ेद के लिए मै उडान भरती रही...
और काले को ख़ुद से दूर करने की कोशिश करती रही...
पर जब भी थक कर चुड़ हो जाती थी...
काले को ही अपने सबसे करीब पाती थी...
काले का ही आसरा मिलता रहा...
ये सिलसिला बहुत रोजो तक चलता रहा...
सफ़ेद की हसीं की याद तडपाती रही...
काले की झोली मे अपने आँसू गिराती रही...
सफ़ेद से लगाव था मेरा...
पर वो बेगाना मेरा साथ छोड़ गया...
काला भाता न था एक रत्ती...
और वही आज मेरा हमसफ़र हो गया...
एक दिन, सफ़ेद दिन की रौशनी मे कहीं खो गया...
अँधेरी रातों मे काला अपनी चादर ओढाकर मुझे सो गया...
फ़िर भी मन मे सफ़ेद के लिए प्यार कम न हुआ...
काला जानता था, पर इस बात का कभी उसे गम न हुआ...
सफ़ेद के लिए मै उडान भरती रही...
और काले को ख़ुद से दूर करने की कोशिश करती रही...
पर जब भी थक कर चुड़ हो जाती थी...
काले को ही अपने सबसे करीब पाती थी...
काले का ही आसरा मिलता रहा...
ये सिलसिला बहुत रोजो तक चलता रहा...
सफ़ेद की हसीं की याद तडपाती रही...
काले की झोली मे अपने आँसू गिराती रही...
सफ़ेद से लगाव था मेरा...
पर वो बेगाना मेरा साथ छोड़ गया...
काला भाता न था एक रत्ती...
और वही आज मेरा हमसफ़र हो गया...
अच्छे भाव हैं.
ReplyDeleteएक सुझाव देना चाहूँगा. काले पृष्ठ पर गुलाबी अक्षरों को पढ़ने में तकलीफ़ होती है. अच्छा होता यदि आप रंगों का संयोजन ठीक करती.
आपके सुझाव के लिए तहेदिल से शुक्रगुजार हूँ, उम्मीद है भविष्य मे भी प्राप्त होंगे.....
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