Sunday, January 18, 2009

वो बचपन...

वो विक्रम-बैताल के लिए, स्कुल से दौड़कर घर आना,,
और
किताबो के बीच नागराज और सुपर कमांडो ध्रुव छुपाना

वो दोपहर में माँ के आँख लगते ही बाहर खेलने भाग जाना,,
और
कहीं से कुत्ता का बच्चा पकड़कर घर ले आना और डांट खाना..

वो माँ के पीछे छिपकर भी जानी दुश्मन देखते जाना,,
और बिजली जाने पर, Mr.India देखने शर्मा अंकल के घर चले जाना

वो दुर्गा पूजा में नये कपडो के लिए एक महीने पहले से दुकान जाना,,
और गर्मी छुट्टी में नानीघर जाते वक्त ट्रेन की खिड़की से चिपक जाना

वो मम्मी का जबरदस्ती पकड़कर बालों में तेल लगाना,,
और पापा का ऑफिस से आते वक्त ढेर सारी चीजे लाना

वो लालटेन के सामने पढने की बजाय, लीड का बैलून बनाना,,
और
स्कुल में मार खाए इस वास्ते, हथेली पर पुटूस के पत्ते लगाना

वो सांपो और भूतों की कहानी सुन, तीन-बार गायत्री मन्त्र दोहराना,,
वो भाई से लड़ना और बहन को फुसलाना,वो स्कुल जाने के दस बहाने बनाना

और भी कितना कुछ ,जो दिल के बहुत ही करीब है ,,
वो बचपन कितना हसीन है,वो बचपन कितना खुसनसीब है॥

1 comment:

  1. क्या आप अपना ईमेल पता दे सकती हैं? हम झारखण्ड में हिन्दी ब्लॉगरों का एक सम्मेलन कर रहे हैं। उस बावत बात करनी है। मेरा ईमेल पता है- bharatwasi001@gmail.com

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