
कुछ दिनों का बस ये साल अब मेहमान रहा,
बाँध दो जल्दी से जो भी इसका सामान रहा...
इसके साथ बिताये लम्हे याद बहुत तो आयेंगे,
वो खुशियाँ, वो गम... कहाँ हम इतनी जल्दी भूल पाएंगे...
नए साल से फ़िर से एक रिश्ता नया बनाना होगा,
इससे एक वादा करके फिरसे उसे निभाना होगा...
इस साल के फूलों से अगले साल को महकाना होगा,
इस साल के काँटों को अपने दामन से हटाना होगा...
पुराने रंग पे एक नया रंग फ़िर से चढाना होगा,
टूटे रिश्तों को स्टोर रूम में कहीं छिपाना होगा...
दुःख के गीतों को भूलकर खुशियों के गीत गाना होगा,
दिल के अंधेरे कमरों में आशा की नई ज्योत जलाना होगा...
अपने सारे यादों को पिछली सारी धुल लिपटी यादों के बीच लगाना होगा,
टूटे-बिखरे ख्याबो को कुरे में डाल, नए ख्याबो को फ़िर से घर लाना होगा...
बाँध दो जल्दी से जो भी इसका सामान रहा...
इसके साथ बिताये लम्हे याद बहुत तो आयेंगे,
वो खुशियाँ, वो गम... कहाँ हम इतनी जल्दी भूल पाएंगे...
नए साल से फ़िर से एक रिश्ता नया बनाना होगा,
इससे एक वादा करके फिरसे उसे निभाना होगा...
इस साल के फूलों से अगले साल को महकाना होगा,
इस साल के काँटों को अपने दामन से हटाना होगा...
पुराने रंग पे एक नया रंग फ़िर से चढाना होगा,
टूटे रिश्तों को स्टोर रूम में कहीं छिपाना होगा...
दुःख के गीतों को भूलकर खुशियों के गीत गाना होगा,
दिल के अंधेरे कमरों में आशा की नई ज्योत जलाना होगा...
अपने सारे यादों को पिछली सारी धुल लिपटी यादों के बीच लगाना होगा,
टूटे-बिखरे ख्याबो को कुरे में डाल, नए ख्याबो को फ़िर से घर लाना होगा...