माँ, तुझमे ही मेरी सारी दुनिया समायी,,,
बैचैन रातों मे, तेरी गोद मे ही नींद आई,,
अपने सारे सपने बेचकर,,
तू हमारे लिए बेसकिमती सपने ले आई,,
हमारी हर एक हसरत के लिए,
अपनी सारी चाहत भुलाई,,
अब मुम्किन तो नही की,,
तेरे सपने, चाहत, उम्र
कुछ भी लौटा दू,,
बस कोशिश करती हूँ,,
जो भी मेरे हाथो मे है,,
तेरी राहों मे बिछा दूँ...
"मै जो भीड़ में खो गयी हूँ... एहसास जो कभी खोते नही .. मै जो थक कर सो गयी हूँ, एहसास जो कभी सोते नही.." "मै जो आज बेजुबान हो गयी हूँ, एहसास जो कभी चुप होते नही.. मै जो अब पत्थर हो गयी हूँ एहसास जो कभी सख्त होते नही.."
Friday, October 23, 2009
माँ..
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MAA AISI HI HOTI HAI...
ReplyDeleteSach kaha aapne sanjayji
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